Wednesday, November 4, 2009

BirthDay wish for VIPUL




कहते है, लोग बिन बताये दिल में पनाह ले लेते है,
कुछ खास होते है जो कोने में छुप के बैठ जाते है...
दिल के टूट जाने पर, अपने सहारे का मलहम वो लगाते है,
कभी हमारी खामोशी में, खुद जुबाँ बन मन बहलाते है...
लोग हर बार अनजाने में एक नया रिश्ता बना कर आते है,
ऐसा ही एक अज़ीज़ दोस्त है मेरा, हम जिसे "विपुल " पुकारते है...
उसकी अठारहवीं सालगिरह के जश्न में शामिल होने आया हूँ,
बेहिसाब दुआओं के साथ , जन्मदिन की मुबारकबाद लाया हूँ...
मेरी शुभकामनाएं पंक्तिबद्ध हो तेरा इंतज़ार कर रही है,
कबूल कर उन्हें, कुछ नगमें तुझ पर बरसाने आया हूँ...
इस अवसर पर तेरी हर मनोकामना तेरा मस्तक चूमें,
तेरी लहरों रूपी मंजिलो को जल्द ही एक साहिल मिल जाये...
तेरे शशि समान मुखड़े पर हमेशा स्वर्ण मुस्कान छाई रहे,
तेरी परछाई बन साथ चले हम, और तू आसमां को छू जाये,
अगर मैं गलत राह चलूँ कभी तो, तू हाथ थामने आ जाना,
मुड़ जाऊंगा दूसरी ओर उसी वक़्त, बस तेरी सलाह मेरे साथ आये...
बस ऐसी ही कुछ बाते मैं दिल में संजो के रखता हूँ,
फ़ना हो सभी दूरियां, ये गीत गुनगुनाता रहता हूँ...!!!

पनाहगाह

"Main Dram GC" @ IIT-B



" परिंदे आते है परदेस से, ये सोचकर की कुछ दिन रहेंगे और निकल पड़ेंगे कहीं... इसी चाह में वो किसी पेड़ से पनाह लेते है... और उसी " पनाहगाह " को अपना बसेरा बना लेते है..."


अब्बू कहा करते थे,

आँखों की बरसात बचा के रखना,

लोग आग लगाना नहीं भूले हैं,

पर उस बरसात से ज्वालामुखी को,

चाहूँ तो भी बुझाऊँ कैसे...


दिल में चुभ रही थी एक कील,

दर्द सहना हो रहा था मुश्किल,

हाथ विद्रोही बन बैठे,

आक्रोश और द्वेष उसका साथ दे बैठे,

ना रोक सका उस प्यासे खंजर को,

जो मास्टर के बदन को छ्लनी कर बैठे...


अजनबीयों के शहर में,

अपना ही वजूद अजनबी लगने लगा,

जोकर का मुखौटा पहने आईने में,

खुद को पहचानने की कोशिश करने लगा,

आया था चेहरा छुपाने, पर

चेहरे ने ही दिया अनजाना करार...

जैसा किया वैसा पाया,

अब ना है किसी सुख की चाह,

ये एक सर्कस नहीं,

पनाहगाह है, पनाहगाह...!!!