Happy Birthday माँ ...
this one is for you and every mother...
माँ... ज़िन्दगी की शुरुआत, इसी शब्द से होती है,
ये माँ ही हमें पाल-पोस कर, इंसान बनाती है..
बचपन में उंगली पकड़ कर, चलना सिखाया था,
आज फिर मुझे, वो उंगली थामने की इच्छा करती है...
माँ मैं दूर हो गया तुझसे, तेरा हाथ पकड़ने की इच्छा करती है...!!
माँ के कंधे पर, जाने कितनी नींदे पूरी की है,
जाने कितनी रातें, तुमने एक करवट में गुजारी है..
ना सो पायी तुम, जब तक मैं ना सो गया,
आज फिर मुझे, उस गोद में सोने की इच्छा करती है...
माँ मैं दूर हो गया तुझसे, मेरी नींदे तेरे कंधे की इच्छा करती है...!!
मुझे चैन से सोता देख, तुम्हे सुकून मिलता है,
मेरी मंद मुस्कान को देख, तुझे जन्नत सी मिलती है..
तू जग जाती है, रोज़ सुबह मेरे उठने से पहले,
आज फिर उठते ही, तेरा चेहरा देखने की इच्छा करती है...
माँ मैं दूर हो गया तुझसे, सो जाऊ तो ना जगने की इच्छा करती है...!!
तेरा माथा चूमना, सर पर हाथ रख के सहलाना याद आता है,
इम्तिहान के वक़्त, दही-चीनी की कटोरी याद आती है..
तुम सलाह देती थी, जब भी घर से बाहर कदम रखता था,
आज फिर तुम्हारे हाथ से, दही-चीनी खाने की इच्छा करती है...
माँ मैं दूर हो गया तुझसे, तेरी बाते सुनने की इच्छा करती है...!!
मैं तितली सा, पूरे घर में इधर-उधर उड़ता था,
तू हाथ में खाने की थाली ले, मेरे पीछे दौड़ा करती है..
मेरी भूख की खातिर, तू दिनभर रसोई में उलझा करती है,
आज फिर तेरे हाथ से, खाना खाने की इच्छा करती है...
माँ मैं दूर हो गया तुझसे, अब तुझे खिलाने की इच्छा करती है...!!
मैं जिद करता था कि, तुम मुझे मेरी कहानी सुनाओ,
तू सरगम छेड़, लौरी गा कर मुझे चाँद सितारे घुमाती है..
मुझे राजकुमार बना कर, कई कहानियाँ सुनाती थी,
आज फिर वो तराने, तेरे मुंह से सुनने की इच्छा करती है...
माँ मैं दूर हो गया तुझसे, मुझे लौरी सुनने की इच्छा करती है...!!
जब भी मैं रोया, तूने पल्लू से मेरे आंसू पोंछे है,
लगी जब भी ठोकर, तू आकर मुझे उठाती है..
तू ना रोना कभी, क्यूँ कि मेरे पास ऐसा पल्लू नहीं पर,
आज फिर तेरे आँचल के तले, रोने कि इच्छा करती है...
माँ मैं दूर हो गया तुझसे, अब आंसू ना पोंछने की इच्छा करती है...!!
एक दफा मैंने पूछा, इतने क्यूँ व्रत-उपवास करती हो,
माँ बोली कि अपने लिए नहीं, एक माँ बेटे के लिए करती है..
वो बड़ा बने, एक अच्छा इंसान बने ये सुनकर,
आज मुझे भी तेरे लिए, उपवास रखने की इच्छा करती है...
माँ मैं दूर हो गया तुझसे, तेरे व्रत का खाना बनाने की इच्छा करती है...!!
माँ मेरी कलम हो तुम, स्याही हो, कोरा कागज़ हो तुम,
दिल में बसी मूरत हो, तो कभी पूजा की थाली हो तुम..
माँ का कोई पर्याय नहीं, चरणों में चारो धाम बसी है,
आज भी भगवान से पहले, तुझे पूजने की इच्छा करती है...
माँ मैं दूर हो गया तुझसे, तेरे पैर छूने की इच्छा करती है...!!
तेरी उंगली छोड़ मैं, समय के परिंदे के संग उड़ चला हूँ,
तेरी हिचकियाँ मुझे, इन दूरियों का एहसास दिलाती है..
और तेरी ये याद की सिसकियाँ, मुझे भी बहुत रुलाती है,
आज फिर तेरे हाथों के नीचे, शीश झुकाने की इच्छा करती है...
माँ मैं दूर हो गया तुझसे, अब तेरे पास आने की इच्छा करती है...!!