वो भीनी भीनी सी यादें..
दिल-ओ-दिमाग में महकती सी..
दिल-ओ-दिमाग में महकती सी..
बरबस उस ओर मुझे खींचे ले चले,
जहाँ जुगनुओं के टिमटिमाते से, है चिरागों की रोशनी..
उन चिरागों में, जिन्नी नहीं मेरा मित्र रहता है..
उन शामियानों में, कोई अनजाना नहीं मेरा यार रहता है..
वो खामोश सी खुशबू के, होंट छूती तितली सा,
वो पत्तो कि ओंट में, छुपी हुई कलि सा..
जो अंगुलियाँ उठ जाती है मुझ पर,
उन्ही अँगुलियों से राह दिखाते राही सा..
वो सूरज की किरण सा दमकता,
वो सुबह की नम आब सा बहकता,
जब दिलों में खून उबलता था,
ठन्डे चिथड़ों सी उसकी बाते बतलाता..
कड़वी बातों की चुभन से परेशान मैं,
तेरी बातों की गुदगुदी से हैरान मैं..
मेरी तन्हाई में मेरे संग बैठ तू,
मुझे ज़रा उठने में सहारा दे तू...!!
जब दिलों में खून उबलता था,
ReplyDeleteठन्डे चिथड़ों सी उसकी बाते बतलाता..
नई अभिव्यक्ति देती पंक्तियाँ. सुंदर रचना. मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई.
बहुत सुंदर कविता लिखी आपने तो ...हैप्पी फ्रेंडशिप डे
ReplyDelete\m/ as always!! :)
ReplyDeletekya baat...
ReplyDeleteHappy Belated Friendship Day...
niccccccccccceeeeeeeeee oooone!!
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