चश्मे के डब्बे में आँखे रख़ कर
चश्मा पहन मैं निकला घर से..
जूते पहनने के बाद ख़याल आया,
पैर तो भूल आया पिछले ही रास्ते में..!!
छींक आते आते रुक गयी
आँख खुली की खुली रह गयी..
नाक पे हाथ गया तो याद आया,
नाक तो घर पे टंगे पतलून की जेब में रखे
उस सफ़ेद रूमाल में रह गयी..!!
कुछ कहने लगा फुसफुसा कर,
किसी को उसके कान में
आवाज़ का ढूंढे पता नहीं लगा,
लगता है रह गयी फोन के रिसीवर में..!!
लिखने के लिए पेन टटोला
कमीज की जेब में,
पर सिवाय डायरी के कुछ ना मिला,
लगता है लिखते लिखते कागज़ में गुम हो गया..!!
मैं मौजूद हूँ किसी महफ़िल में..
हाथ-मिलाते, गपियाते, हँसते-मुस्कुराते..
अचानक याद आया बाथरूम में जिसे छोड़ आया था
उसकी कितनी शकल मिलती थी मुझसे...!!!
:)khub.. aur likho!
ReplyDeletevaah kya ending thi \m/
ReplyDeleteYeh... BAAP Hai!! :)
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