कहते है कि भगवान ने इंसान तो बना दिया पर उसे ज़िन्दगी जीना कैसे सिखाये, वो खुद तो सिखा नहीं सकते थे.. तो उन्होंने हमारे साथ रहने के लिए.. सागर से गहरायी, आसमां से विशालता, पहाड़ से कठोरता, फूल से कोमलता और झरने से शीतलता ले दो रचनाएं गढ़ी..!!
दुनिया ने एक को नाम दिया "माँ" और दुसरे को कहा "पिता"...!!
कह के तो नहीं कह सकता.. पर लिख के कहने की हिम्मत जरूर है पापा.. I LOVE YOU VERY MUCH...
A very-very Happy Birthday PAPA...
A Tribute to all Fathers.. "पिता"
मुझ सीप के मोती का, समुन्दर सा जहां है पिता..
स्मरण मात्र से उनके, देवालयों में घंटियाँ बजती है,
ईश्वर-अल्लाह-यीशु है, फिर भी जग जिसे पूजे, वो है पिता...
मुझ बीज को अपनी छाँव में, जिस वृक्ष ने जन्मा वो है पिता,
धूप-तूफ़ान में साया बन, मुझ कलि को खिलाये मेरे पिता..
दफ्तर से आते ही मेरी हंसी से, सारी थकान उड़ जाती है,
अपने बच्चे के रोने पर, जो झूलता पलना बने, वो है पिता...
संस्कार की पाठशाला में, छड़ी ले खड़े रहते है पिता,
कभी गोद तो कभी काँधे पर, उठा मेले घुमाते है पिता..
गलती करने पर उन हाथो को, वज्र बना देखा है,
पैर छूने पर वही हाथ सर पर रख दे, वो है पिता...
माँ के माथे की रौनक, मेरे नाम के सरताज है पिता,
बाज़ार में हर चीज, अपनी लगे जब संग हो पिता..
अपने गुलशन में बहारें सजा, मुझ फूल को महकाया है,
ज़िन्दगी के कांटो पर सख्त, पर मेरे लिए नाज़ुक, वो है पिता...
आप एहसास है, संवेदना है, गालों पर पप्पी है पिता,
स्कूल जाने पर, खिड़की से मुझे अपलक देखते है पिता..
मेरी शरारतों में, अपना बचपना देख मुस्कुराते है,
माँ फिर भी रो दे, पर बेटे के सामने ना रो सके, वो है पिता...
कैलाश-हरिद्वार, काशी-मथुरा, अमरनाथ है पिता,
मेरी स्याही-दावत और मंत्रो का जाप है पिता..
प्रभात बेला में, चेहरा दिखना मेरा शगुन है पिता,
दिल में बसा है जिसके छुपा अनंत प्यार, वो है पिता...!!
for ur convinience..
ReplyDeleteवेद (ग्रन्थ)--> epic
अध्याय--> chapter
स्मरण--> memorize
देवालय--> temple
यीशु--> jesus
वृक्ष--> tree
पलना--> cradle
वज्र--> thunderbolt
सरताज--> crown
प्रभात-बेला--> early morning
Great poem yaar.. Papa ko bhi rulayega ab... :'(
ReplyDeleteAapke papa ko meri taraf se janamdin ki bahut bahut badahi.....i feeling very fine today after reading ur this blog...b'coz today is also my father's b'day///thnxx kanu for bringing all my momemts with my family back to live.
ReplyDeleteUncle ko meri taraf se Happy Birthday. And awesome poem dude :)....
ReplyDeleteinfi like..!!
ReplyDeletethanx kanu for writing such poems.
:)
happy birthday to both the uncles. \m/
bahut hi umda rachna ki hai...mind blowing
ReplyDeleteits so senti..specially for a girl(as they are attached to their father most)... :'(
maan gaye kanu ustaad :) :)
Awesome kanu
ReplyDeletesimply awesome !!!
impressive buddy :)
ReplyDeleteIt was lovely, Kanu. Do wish your father, humari taraf se bhi.
ReplyDeleteI'm forwarding this to my father now.
Awesome, forwarding to my father !!
ReplyDeleteawesomemaxx lines kanu...keep it up
ReplyDeletewish ur dad happy b'day from ma side too :):)
arey sahi hai yaar!!!
ReplyDeletelovely lines bhai!!!
ReplyDelete:)
you just write amazing....
ReplyDeletewish uncle a very happy bday :)
Thank you very much to all of you.. :):)
ReplyDeletebelated happy birthday :) to your father
ReplyDeleteand good work
keep it up!!
yaar teri poem mujhe puri kyu nhi chamakti??
ReplyDeletewell was able to understand it except 1st para.
dhamaakedaar poem......:)
good to see a poem on father in a polar world.. bahut hi aam baaton ko gehrai ke saath likha hai...
ReplyDeletevery nice..and touching... god bless you...your father will be very proud of you...you write so well...prateek has forwarded this to me....i m his mother...i like your earlier one also....
ReplyDeletethanks ...and "saraswati ji sada aapki kalam main nivas karen".....
namrata chaturvedi
thnk u very much Namrata Aunty.. nd all frends..
ReplyDeletemain kah nahi sakta ki main kaisa mehsoos kar raha hoon.. :):)
bahot khoob... khush reh beta... faloo fulooo putra...
ReplyDeletemade me cry..awsome..
ReplyDeleteReally great! awesome hai yaar :)
ReplyDeleteइक वह दौर था जब में बेटा था
ReplyDeleteऔर पिता कि महत्ता को देखा व् समझा था
पिता के वट वृक्ष में अपने को सुरक्षित जान नन्हे से बचपन से किशोर
व् किशोरावस्था से यौवन तक का सफ़र कटते देखा था
आज में पिता हूँ
आज मेरा सोच बदलाव ले आया है
बचपन से पचपन तक का सफ़र इक फिल्म कि तरह आखों के सामने से गुजर रहा है
सोचता हूँ इस दौर में कि ---
दीपावली पर कितने भी दीप जला लूं
असली जीवन का प्रकाश है-- बेटा
जब भी डगमगाऊंगा संभालेगा वही
क्यूंकि अब पता कि लाठी है-- बेटा
चाँद तारे कितना भी रोशन करे जहाँ को
पिता के चेहरे कि असली चमक तो है --बेटा
मैंने इस संसार में पाए जो संस्कार अपने बड़ों से
उन्हें सहेजेगा ,संवारेगा और बाटेगा --बेटा
अंखियों का नूर ,अधरों की जुबान ,ह्रदय का स्पंदन है --बेटा
बस यही कहूँगा
हर पिता के लिए
सबसे बड़ा valentine है --बेटा -
aur agar beta aapke jaisa ho to ek pita
ka jivan hi safal ho gaya
girish durgani
@previous comment - infi awesome...
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