Monday, December 27, 2010

दिल की बातें..




तेरे ख्यालों की पनाह में, मैं रोज़ एक नज़्म लिखता हूँ..
जब गुनगुनाऊं तन्हाई में, जैसे तुझसे रु-ब-रु होता हूँ..
गुज़रे लम्हों के आगोश में, तेरी बाहें लिपट सी जाती है..
तेरी साँसों की गर्मी में, मैं बर्फ सा पिघलता रहता हूँ...
तेरी आशिकी की पनाह में बेइंतहा मोहब्बत करता रहता हूँ...!!

तेरी नज़रों के मुड़ने पर खुद को आवारा समझता हूँ,
तेरे खामोश लब देखकर खुद को मजबूर समझता हूँ..
तू भले मेरे साये से भी मुँह मोड़कर बैठी रह,
तुझसे दूर होने का इलज़ाम मैं खुद पर ले लेता हूँ..
तेरी आशिकी की पनाह में बेइंतहा मोहब्बत करता रहता हूँ...!!

वो मदहोश बातें, मेरे ज़हन की रगों में मेह्फूस रखता हूँ..
भूल ना जाऊ कहीं, इसलिए कागजों में कैद किये रखता हूँ..
तेरे इश्क की स्याही, मेरी कलम को जंग लगने से बचाती है..
मतलबी दुनिया में, तेरी मोहब्बत का दुशाला ओढ़े रखता हूँ..
तेरी आशिकी की पनाह में बेइंतहा मोहब्बत करता रहता हूँ...!!

तेरी सूरमायी अंखियो में सारी राते गुज़ारा करता हूँ,
बचीखुची यांदो में तेरे हसीन ख्वाब देखा करता हूँ..
होश में होऊ या बेहोश, बस बेखबर सा ताकते हुए,
सुन्न पड़ी धडकनों में भी जगा हुआ रहता हूँ..
तेरी आशिकी की पनाह में बेइंतहा मोहब्बत करता रहता हूँ...!!

बंजर राहो में, तेरे मखमली हाथ बेफिक्र थामे रहता हूँ..
काली रातों में, तुझ दीप की रोशनी जलाये रहता हूँ..
ये सफ़र तय करने में, ऐ हमसफ़र तेरी ज़रूरत पड़ेगी मुझे,
शाख के झूलते पत्तों सा, तेरा अलविदा बुझाते रहता हूँ..
तेरी आशिकी की पनाह में बेइंतहा मोहब्बत करता रहता हूँ...!!

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