जब भी ख्यालों की उड़ान का पंछी होता हूँ,
रह-रह कर तुम्हारे आसमां में खो जाता हूँ,
यहाँ बादल भी तुम्हारी शक्ल बना बैठे रहते है,
और हम है कि तुम्हे हर जगह ढूंढते रहते है…
तेरी परछाई सी दिखी किसी बादल में,
पास गए तो उलझ गए भूलभुलैया में,
वहाँ कुछ ना था जो हमें थोड़ा सुकून दे,
मगर फिर भी जकड़े हुए थी तुम्हारी यादें…
एक पल भी महसूस ना हुआ कि हम अकेले है,
लगा ऐसा कि हर वक़्त आप हमारा हाथ पकडे है,
जब भी आया बवंडर हम सहम जाते थे,
पर कुछ पल में ही तुम्हे साथ खड़ा पाते थे…
कभी ये चाहत ना की, कि आप हमारे हो,
बस गुज़ारिश थी कि आपका साथ हमारा हो,
मेरी इसी गुस्ताखी को आप हमारी मोहब्बत समझ बैठे,
मगर हम इसे मोहब्बत तो नहीं पर दोस्ती से बढ़ कर कह बैठे..
टूट जायेंगे ये रिश्ते इतने जल्दी ये हमे मालुम न था,
जब दो चार गलतियां कर के देखी तो हमे पता चला..
इन फूल से नाज़ुक रिश्तों को कभी हाथ भी ना लगायेंगे,
बस इन्हें दूर से देख कर ही हम खुश हो लेंगे...
शब्दों और भावों की नयनाभिराम प्रविष्टि अत्यंत सराहनीय है
ReplyDeleteइस नए ब्लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. अच्छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद्..
ReplyDeleteglad to hav a friend like you....ur poems hav always been a pleasure reading....the sentiments and feelings reflected in them have been astounding...just keep on writing !!! u rockk :) hav fun
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
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ReplyDeletethanks kuch ankahi ke liye
ReplyDelete"yeh hai meri kahani,khamosh zindagani"
touching nd very deep thots, seems like u have experienced the thing
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