धरा से लेकर ऊंचे फलक तक, हम तिरंगा फ़हरा देंगे..
कश्मीर से कन्याकुमारी तक, आज़ादी का अलख जगा देंगे...
पूरब में उगे सूरज को, अब पश्चिम में ढलने ना देंगे..
हिन्दुस्तानी स्वर्णिम पंछी, अब फिरंगी वतन में ना उड़ने देंगे...
बहुत नोच लिया हमारी अस्मत को, अब पलटकर वार करेंगे..
आतंक, फरेब, हिंसा को, हम देश में घुसने ना देंगे...
शहीद हो गए आज़ाद-भगतसिंह, देश की साँसों की खातिर..
पंडित-मुल्ला-पादरी को गले मिला, उन साँसों को हम सुकून देंगे...
लाख जवानियाँ किश्त में देकर, ये आज़ादी हमने पायी है..
ना हो कोई मांग सूनी, हर जवाँ दिल को हम ये जूनून देंगे...
क्या हुआ अगर बढे फासले, अब ना किसी की बात सुनेंगे..
दुश्मन को भी हाथ बढ़ा, हम मोहब्बत का पैगाम देंगे...
जय हिंद...!!
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteसादर
समीर लाल
आज़ादी के बहाने बढया प्रस्तुति !
ReplyDeleteअंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व ..मुबारक हो!
समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:
आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html
स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक बधाई।
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